Rudraksha: रुद्राक्ष पहनते समय भूलकर भी ना करें ये गलतियां, जानिए सही नियम

Rudraksha

Rudraksha: रुद्राक्ष को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और दिव्य माना जाता है। इसे भगवान शिव का आशीर्वाद माना जाता है और यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता, शांति और आध्यात्मिक उन्नति लाने में सहायक होता है। रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक शांति, आत्मविश्वास और सफलता प्राप्त होती है।

लेकिन, इसे धारण करने के कुछ नियम और विधियां होती हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है। गलत तरीके से रुद्राक्ष पहनने से इसके प्रभाव में कमी आ सकती है या नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं।

Rudraksha धारण करने के लाभ:

रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति मजबूत होती है और ध्यान केंद्रित करने में सहायता मिलती है। ये स्वास्थ्य में लाभ करता है| यह रक्तचाप को संतुलित करता है, हृदय रोगों में राहत देता है और तनाव को कम करता है। रुद्राक्ष बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से व्यक्ति की रक्षा करता है।

ध्यान और साधना करने वालों के लिए रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसे पहनने से व्यक्ति के आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे उसे सफलता प्राप्त होती है।

Rudraksha पहनते समय इन गलतियों से बचें:

रुद्राक्ष को बिना विधिवत शुद्ध किए न पहने | नया रुद्राक्ष प्राप्त करने के बाद उसे गंगाजल या कच्चे दूध में डुबोकर शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर अर्पित कर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करके इसे धारण करें। जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है, उसे मांसाहार, शराब और नशीले पदार्थों से दूर रहना चाहिए। यह अशुद्धता को दर्शाते हैं और रुद्राक्ष की सकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित कर सकते हैं। रुद्राक्ष पहनकर अपवित्र स्थानों पर न जाएं | श्मशान घाट, शौचालय या अत्यधिक गंदे स्थानों पर रुद्राक्ष पहनकर जाने से बचें। सोते समय इसे उतारकर साफ स्थान पर रखें। नहाते समय और तैलयुक्त पदार्थों से बचें | नहाने के दौरान रुद्राक्ष उतार देना चाहिए, खासकर यदि साबुन या शैंपू का उपयोग कर रहे हों। तेल, इत्र या कोई अन्य रासायनिक पदार्थ रुद्राक्ष के प्रभाव को कमजोर कर सकता है। गलत मुखी रुद्राक्ष धारण न करें |

प्रत्येक रुद्राक्ष की अपनी विशेषता होती है और व्यक्ति को अपनी कुंडली एवं आवश्यकता के अनुसार सही मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। गलत मुखी रुद्राक्ष पहनने से लाभ की बजाय हानि हो सकती है। रुद्राक्ष का दान न करें और इसे किसी और को न पहनाएं जो रुद्राक्ष आप स्वयं धारण कर रहे हैं, उसे किसी अन्य व्यक्ति को न पहनाएं और न ही किसी को दान करें। यह आपकी ऊर्जा को स्थानांतरित कर सकता है और इसका प्रभाव कम हो सकता है।

रुद्राक्ष पहनने की सही विधि:

सबसे पहले इसका शुद्धिकरण करें | इसके लिए रुद्राक्ष को गंगाजल या गाय के दूध में डुबोकर एक रात तक रखें। किसी शुभ दिन सोमवार या महाशिवरात्रि का दिन रुद्राक्ष धारण करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘ॐ ह्रीं नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें। इसे धार्मिक रीति से धारण करें |

इसे सोने, चांदी या पंचधातु की चेन में पहनना उचित होता है। रुद्राक्ष को हमेशा सही संख्या में पहनें,इसके लिए 27+1, 54+1 या 108+1 की संख्या में माला बनाकर पहनना चाहिए।

Rudraksha के विभिन्न प्रकार और उनके लाभ:

एकमुखी रुद्राक्ष – यह व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाता है और उच्च आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। दोमुखी रुद्राक्ष – यह वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बनाए रखने में सहायक होता है। तीनमुखी रुद्राक्ष – यह आत्मविश्वास बढ़ाने और तनाव को कम करने में मदद करता है। चारमुखी रुद्राक्ष – यह बुद्धि और स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए उपयोगी है। पांचमुखी रुद्राक्ष – यह सबसे आम प्रकार है और इसे पहनने से मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।

छहमुखी रुद्राक्ष – यह धन, समृद्धि और व्यावसायिक सफलता प्रदान करता है। सातमुखी रुद्राक्ष – यह व्यापार में उन्नति और वित्तीय स्थिरता प्रदान करता है। आठमुखी रुद्राक्ष – यह सभी प्रकार के विघ्नों को दूर करता है और जीवन में सफलता दिलाता है। नौमुखी रुद्राक्ष – यह शक्ति, ऊर्जा और साहस प्रदान करता है। ग्यारहमुखी रुद्राक्ष – यह आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति मार्ग में सहायक होता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में प्रस्तुत जानकारी ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। विभिन्न माध्यमों से एकत्रित करके ये जानकारियाँ आप तक पहुँचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज़ सूचना पहुँचाना है। viralnewsvibes.com इस जानकारी की सटीकता, पूर्णता, या उपयोगिता के बारे में कोई दावा नहीं करता और इसे अपनाने से होने वाले किसी भी परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं होगा। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने विवेक और निर्णय का उपयोग करें।