Blind Village: दुनिया में कुछ जगहें अपनी अनूठी विशेषताओं और रहस्यों के कारण चर्चा में रहती हैं। ऐसा ही एक स्थान है मैक्सिको का टिल्टेपक गांव। यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यह एक दुर्लभ और विचित्र स्थिति के लिए भी जाना जाता है।
इस गांव में इंसानों से लेकर जानवर तक हर कोई अंधा है। इस गांव को अंधों का गांव(Blind Village) भी कहा जाता है। इस गांव के निवासियों-चाहे वे इंसान हों या जानवर-जन्म के बाद धीरे-धीरे अपनी आंखों की रोशनी खो देते हैं।
Blind Village भी कहा जाता है टिल्टेपक को:
टिल्टेपक, मैक्सिको के दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित एक छोटा सा गांव है। यहां की आबादी करीब 300 लोगों की है, जो मुख्य रूप से खेती और पशुपालन पर निर्भर करते हैं। गांव का प्राकृतिक परिवेश अत्यंत सुंदर है, लेकिन यहां के निवासियों का जीवन संघर्षमय है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस रहस्मयी गांव(Blind Village) में जेपोटेक जनजाति के लोग रहते हैं। गांव में आंखों की रोशनी खोने की समस्या कई पीढ़ियों से चली आ रही है। यह स्थिति न केवल इंसानों में, बल्कि जानवरों में भी देखने को मिलती है। अधिकांश बच्चे जन्म के समय सामान्य होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उनकी दृष्टि कमजोर होने लगती है और अंततः वे पूरी तरह अंधे हो जाते हैं।
Blind Village में कठिनाइयों से भरा है जीवन:
गांव(Blind Village) के निवासियों का जीवन अंधेपन के कारण काफी कठिन हो गया है। बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते, और वयस्कों को दैनिक काम करने में भी समस्याएं होती हैं। जानवरों का अंधापन खेती और पशुपालन को प्रभावित करता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाती है।
शापित पेड़ को मानते हैं वजह:
इस गांव(Blind Village) के निवासी अपने अंधेपन की की वजह एक पेड़ को मानते हैं। गांव के लोगों का मानना है कि यहां लावजुएला नामक एक पेड है जो कि शापित है। लोगों का मानना है कि इस पेड़ को देखने के बाद लोग अंधे हो जाते हैं।
सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि यहां रहने वाले पशु-पक्षी तक भी अंधे हो जाते हैं। वहीं वैज्ञानिक इस तर्क को नहीं मानते। वैज्ञानिकों का कहना है कि लोगों के अंधेपन के पीछे कोई पेड़ वजह नहीं है, बल्कि एक खतरनाक और जहरीली मक्खी है।
शापित पेड़ के पीछे की लोककथा:
टिल्टेपक गांव(Blind Village) की कहानी सदियों पुरानी है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, इस गांव में एक अमीर किसान रहा करता था, जिसने अपनी संपत्ति बढ़ाने के लिए काले जादू का सहारा लिया। उसने गांव के बीचो-बीच एक पेड़ लगाया, जो शापित था।
इस पेड़ को “अंधेरे का प्रतीक” माना गया और कहा गया कि इसकी छाया में आने वाले हर प्राणी की दृष्टि चली जाती है। यह कहानी गांव के लोगों की मान्यताओं में बस गई। आज भी गांव के लोग इस पेड़ से दूर रहने की कोशिश करते हैं।
वैज्ञानिक मानते हैं यह वजह:
वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि एक खास किस्म की जहरीली मक्खी के काटने से यहां के लोगों के आंखों की रोशनी चली जाती है। दरअसल, यहां गांव(Blind Village) के लोग झोपड़ियों में रहते हैं। इस गांव में करीब 70 झोपड़ियां हैं, जिनमें करीब 300 लोग रहते हैं और ये सभी अंधे हैं।
खास बात यह है कि इनमें से किसी भी झोपड़ी में खिड़की नहीं है। हालांकि माना जाता है कि कुछ लोगों की आंखों की रोशनी ठीक होगी और उस वजह से ही बाकी के लोग यहां सर्वाइव कर पाते हैं। लेकिन यहां के गांववाले इसके पीछे श्राप और उस शापित पेड़ को ही वजह मानते हैं। इसी वजह से आज भी इस गांव के लोग उस पेड़ के पास जाने से बहुत डरते हैं।