Jack The Baboon: क्या आप सोच सकते हैं कि कोई जानवर सरकारी नौकरी कर सकता है। एक ऐसा लंगूर था जिसने रेलवे विभाग में सरकारी नौकरी की। उस लंगूर को अन्य कर्मचारियों की तरह हर माह तनख्वाह भी मिलती थी।
Jack The Baboon: बंदर बहुत शरारती होते हैं लेकिन समझदार भी होते हैं। कई लोग तो बंदरों को घर में भी पालते हैं। बता दें कि जानवरों और इंसानों का रिश्ता सदियों पुराना रहा है। बहुत से जानवरों का इस्तेमाल लोग अपने कामों के लिए करते है। जैसे गधा, घोड़ा, ऊंट और बैल जैसे जानवरों को लोग अपने कामों के लिए इस्तेमाल करते आए हैं।
लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि कोई जानवर सरकारी नौकरी कर सकता है। एक ऐसा लंगूर था जिसने रेलवे विभाग में सरकारी नौकरी की। उस लंगूर को अन्य कर्मचारियों की तरह हर माह तनख्वाह भी मिलती थी। उसने करीब 9 साल तक रेलवे में सिग्नल-मैन के तौर पर काम किया था।
रेलवे कर्मचारी को मिला था गाड़ी हांकता लंगूर:
यह घटना साउथ अफ्रिका की है। वर्ष 1870 के आस पास केप टाउन में एक रेलवे स्टेशन था। उस रेलवे स्टेशन पर जेम्स वाइड नाम का शख्स सिग्नल-मैन के तौर पर काम करता था। वह काफी समय से वहां नौकरी कर रहा था लेकिन एक दिन एक ट्रेन हादसे में जेम्स के दोनों पैर कट गए। इसके बाद उसने लकड़ी की नकली टांगे लगवा ली।
लेकिन नकली टांगों की वजह से पहले की तरह ठीक से काम नहीं कर पा रहा था। ऐसे में जेम्स काफी परेशान रहने लगा। एक दिन वह कहीं जा रहा था तो उसकी नजर एक लंगूर(Jack The Baboon) पर पड़ी जो गाड़ी हांक रहा था। इसके बाद जेम्स ने उस लंगूर को उसके मालिक से खरीद लिया।
लंगूर को सिखाया सिग्नल चेंज करना:
लंगूर को खरीदने के बाद जेम्स ने उसका नाम जैक(Jack The Baboon) रखा। जैक बहुत समझदार और होशियार था। वह चीजों को बहुत जल्दी सीखता था। जैक घर के कामों में जेम्स की मदद करने लगा। धीरे-धीरे वह जेम्स के साथ रेलवे स्टेशन भी जाने लगा। जेम्स ने जैक को रेलवे के सिग्नल बदलना भी सिखा दिया।
इसके बाद जेम्स के इशारे पर जैक सिग्नल बदलने लगा। हालांकि पहले जब जैक बिना जेम्स के इशारे के सिग्नल चेंज नहीं कर सकता था। लेकिन धीरे धीरे जैक ने रेलगाड़ी की सीटी की आवाज सुनकर सिग्नल चेंज करना सीख लिया।
रेलवे अधिकारियों को पता चली बात:
लंगूर को रेलवे स्टेशन पर सिग्नल चेंज करने की बात जंगल में आग की तरह फैल गई। लोग उस लंगूर को सिग्नल चेंज करते देखने आने लगे। रेलवे के अधिकारियों तक भी यह बात पहुंच गई। इसके बाद अधिकारियों ने जेम्स को नौकरी से बर्खास्त कर दिया। जेम्स ने अपने अधिकारियों को बहुत समझाने की कोशिश की और बताया कि जैक(Jack The Baboon) बहुत समझदार है आरै चाहें तो वे उसकी काबिलियत का टेस्ट ले सकते हैं। काफी मिन्नतें करने के बाद रेलवे अधिकारी जैक का टेस्ट लेने को तैयार हो गए।
Jack The Baboon पास हो गया टेस्ट में:
इसके बाद रेलवे अधिकारियों ने जैक का टेस्ट लिया और जैक उस टेस्ट में पास भी हो गया। इसके साथ ही जेम्स को भी नौकरी पर फिर से रख लिया गया। इतना ही नहीं लंगूर जैक को भी रेलवे में आधिकारिक तौर पर सिग्नल-मैन काम दे दिया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, जैक को रेलवे ने अधिकारिक तौर पर नियुक्त किया और उसे रोजगार नंबर भी दिया गया। जैक को उस काम के लिए तन्ख्वाह भी मिलती थी।
उसे रोज के हिसाब से 20 सेंट और बीयर की आधी बोतल हर हफ्ते वेतन के तौर पर दी जाने लगी। बता दें कि जैक पहला और आखिरी ऐसा लंगूर था, आधिकारिक तौर पर रेलवे में बतौर सिग्नल मैन नौकरी की। जैक ने करीब 9 साल तक रेलवे में अपनी सेवाएं दी। खास बात यह है कि इस दौरान जैक ने अपने काम में कोई भी गलती नहीं की और ना ही उसने कभी छुट्टी ली। लेकिन 1890 में टीबी की बीमारी से उसकी मौत हो गई थी।