Miracle of Maa Dhari: माता का चमत्कार, सुबह कन्या तो शाम को बूढ़ी औरत में बदल जाती है मूर्ति

Miracle of Maa Dhari: भारत भूमि को देवभूमि कहा जाता है, जहां कदम-कदम पर चमत्कार देखने को मिलते हैं। यहाँ पर आस्था और श्रद्धा से जुड़े कई चमत्कारी स्थल हैं, जो लोगों को ईश्वर की शक्ति का एहसास कराते हैं। ऐसे ही एक अद्भुत स्थल है उत्तराखंड में स्थित मां धारी देवी का मंदिर।

October 03, 2024
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Miracle of Maa Dhari: माता का चमत्कार, सुबह कन्या तो शाम को बूढ़ी औरत में बदल जाती है मूर्ति

Miracle of Maa Dhari: भारत भूमि को देवभूमि कहा जाता है, जहां कदम-कदम पर चमत्कार देखने को मिलते हैं। यहाँ पर आस्था और श्रद्धा से जुड़े कई चमत्कारी स्थल हैं, जो लोगों को ईश्वर की शक्ति का एहसास कराते हैं। ऐसे ही एक अद्भुत स्थल है उत्तराखंड में स्थित मां धारी देवी का मंदिर।

इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां मां की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। सुबह मां कन्या के रूप में, दोपहर में युवती के रूप में और शाम को बूढ़ी महिला के रूप में दिखाई देती हैं। यह चमत्कारी घटना न सिर्फ मंदिर को विशेष बनाती है, बल्कि यहां आने वाले हर भक्त के मन में श्रद्धा और आस्था को और भी गहरा कर देती है। आइए जानते हैं, इस मंदिर और मां धारी देवी के इस चमत्कारी रूप की पूरी कहानी।

Maa Dhari देवी का मंदिर एक पौराणिक इतिहास:

उत्तराखंड के श्रीनगर में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित मां धारी देवी का यह मंदिर आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण हजारों साल पहले किया गया था और तब से यहां मां धारी देवी की पूजा-अर्चना होती आ रही है।

मान्यता है कि मां धारी देवी यहां अपने भक्तों की हर समस्या का समाधान करती हैं और उनकी रक्षा करती हैं। मंदिर का नाम ‘धारी’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है ‘रक्षक’। मां धारी देवी को इस क्षेत्र की रक्षक देवी माना जाता है।

Miracle of Maa Dhari:

मां धारी देवी की मूर्ति दिन में तीन बार रूप बदलने का अद्भुत चमत्कार यहां के श्रद्धालुओं के बीच एक गहरा विश्वास पैदा करता है। मां का यह रूप चमत्कारी माना जाता है| इस मंदिर जब सूरज की पहली किरण मंदिर पर पड़ती है, तो मां धारी देवी का स्वरूप कन्या के रूप में दिखाई देता है।

इस समय मां की मूर्ति को देखकर ऐसा लगता है जैसे वह छोटी कन्या के रूप में हों। मां का यह रूप मासूम होता है, जो नारी के बाल्यावस्था का प्रतीक है। लोग इस समय मां से अपने जीवन में शांति और सुख की कामना करते हैं।

जैसे-जैसे दिन चढ़ता है, मां का रूप बदलने लगता है। दोपहर में मां की मूर्ति युवती के रूप में परिवर्तित हो जाती है। इस समय मां का स्वरूप अत्यंत ऊर्जा और शक्ति से भरा हुआ दिखाई देता है। लोग इस समय मां से अपनी समस्याओं से लड़ने की ताकत और साहस की प्रार्थना करते हैं।

जब शाम ढलने लगती है और सूरज अस्त हो जाता है, तब मां धारी देवी का रूप फिर से बदल जाता है। अब वह बूढ़ी महिला के रूप में दिखाई देती हैं। इस समय उनका स्वरूप वृद्ध और ज्ञान से परिपूर्ण लगता है। शाम का यह समय जीवन के अंतिम चरण का प्रतीक है, जो नारी के जीवन के हर चरण को दर्शाता है। लोग इस समय मां से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं और जीवन में सच्ची दिशा पाने की प्रार्थना करते हैं।

मां धारी देवी की पूजा और अनुष्ठान:

मां धारी देवी के मंदिर में हर दिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है। यहां हर दिन सुबह और शाम की आरती का विशेष महत्व है। भक्त यहां नारियल, फूल, धूप और दीप जलाकर मां की आराधना करते हैं। नवरात्रि के समय इस मंदिर में विशेष अनुष्ठान और पूजा का आयोजन होता है।

इस दौरान मां के स्वरूपों का विशेष पूजन होता है और श्रद्धालु दूर-दूर से आकर मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। कहा जाता है कि इस समय मां की कृपा से हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है।

मां धारी देवी से जुड़ी कहानियां:

मां धारी देवी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रसिद्ध हैं। एक कथा के अनुसार, जब काली माता के क्रोधी रूप को शांत किया जा रहा था, तब उनका एक हिस्सा यहां गिरा और वह मां धारी देवी के रूप में स्थापित हुईं। तभी से यह स्थान शक्ति उपासकों के लिए पवित्र स्थल बन गया।

कहा जाता है कि जब इस मंदिर को श्रीनगर जलविद्युत परियोजना के लिए स्थानांतरित किया गया था, तभी उत्तराखंड में भयंकर बाढ़ आई थी। इस आपदा में हजारों लोग मारे गए थे और काफी नुकसान हुआ था। इसके बाद मंदिर को पुनः उसी स्थान पर स्थापित किया गया और तब से यहां हर साल भक्तों का तांता लगा रहता है।

श्रद्धालुओं के लिए मां धारी देवी का यह रूप एक आस्था और विश्वास का प्रतीक है। इस मंदिर में आकर हर कोई मां से अपनी समस्याओं का समाधान मांगता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करता है।