Miraculous Gadhiya Ghat Mata Temple: हमारे देश में लाखों मंदिर हैं और इनमें से कुछ मंदिर ऐसे हैं जो अद्भुत और चमत्कारिक माने जाते हैं। भक्तों को ऐसे मंदिरो में साक्षात चमत्कार देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक चमत्कारिक और अद्भुत मंदिर मध्यप्रदेश में भी है। यहां लोगों को चमत्कार देखने को मिलता है।
आपने अभी तक दीये को तेल या घी से जलते देखे होगा लेकिन क्या आपने पानी से दीये को जलते देखा है। जी हां मध्यप्रदेश में स्थित इस मंदिर में तेल या घी से नहीं बल्कि पानी से दीया जलता है।
मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में स्थित गड़ियाघाट माता मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपनी एक अद्भुत और चमत्कारी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर काली सिंध नदी के तट पर स्थित है और इसे “पानी से जलने वाले दीये” की अनोखी घटना के लिए जाना जाता है।
यह घटना मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है और हर साल बड़ी संख्या में भक्तजन इस चमत्कार को देखने और माता के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं।
Gadhiya Ghat माता मंदिर:
गड़ियाघाट माता(Gadhiya Ghat) मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर की स्थापना से जुड़ी पौराणिक कथा यह है कि यहां प्राचीन समय में एक साधु ने तपस्या की थी। तपस्या के दौरान, साधु को माता की दिव्य शक्ति का आभास हुआ और उन्होंने इस स्थान पर माता के एक मंदिर का निर्माण कराया। समय के साथ यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बन गया।
मंदिर में स्थापित माता की प्रतिमा को “गड़ियाघाट माता” के नाम से जाना जाता है। यह प्रतिमा अत्यंत प्राचीन है और भक्तों के अनुसार, यह मूर्ति चमत्कारी है। भक्तों का मानना है कि यहां की गई प्रार्थनाएं तुरंत फलदायी होती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पानी से जलने वाले दीये का चमत्कार:
गड़ियाघाट माता (Gadhiya Ghat)मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां दीया पानी से जलता है। मंदिर में एक विशेष स्थान है, जहां श्रद्धालु दीया जलाने के लिए आते हैं। इस चमत्कार को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इस मंदिर में जलने वाले दिए की ज्योति तेल से नहीं बल्कि पानी से जलती है।
बताया जाता है कि इस मंदिर के दिए में घी या तेल इस्तेमाल नहीं किया जाता। बल्कि पानी डालकर भगवान के सामने दिया जलाया जाता है। उसके बाद दिया पानी से ही जलने लगता है।
दीये में डाला जाता है सिंध नदी का पानी:
इस दिए का पानी जैसे ही समाप्त होने लगता है। मंदिर का पुजारी काली सिंध नदी से पानी भरकर इस दिए में डाल देता है। बताया जाता है कि दीये में पानी डालते ही वह काले चिपचिपे तरल पदार्थ में बदल जाता है और उसके बाद दीपक फिर से जलने लगता है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह संभवतः प्राकृतिक रूप से निकलने वाले मिथेन या किसी अन्य ज्वलनशील गैस का परिणाम हो सकता है।
हालांकि, स्थानीय लोग इसे देवी की शक्ति का चमत्कार मानते हैं। भक्तों का कहना है कि यह घटना माता की दिव्यता और शक्ति को प्रमाणित करती है। यह चमत्कार उनके विश्वास और आस्था को और मजबूत करता है।
नवरात्रि में लगती है भारी भीड़:
गड़ियाघाट माता(Gadhiya Ghat) मंदिर का धार्मिक महत्व केवल चमत्कार तक सीमित नहीं है। यह स्थान नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से जीवंत हो जाता है। इस दौरान मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है, और यहां बड़े पैमाने पर भजन-कीर्तन और यज्ञ का आयोजन होता है।
इसके अलावा, मंदिर का शांत और प्राकृतिक परिवेश भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। काली सिंध नदी के तट पर स्थित होने के कारण, यहां का वातावरण अत्यंत पवित्र और सुकूनदायक होता है।
कैसे पहुंचे Gadhiya Ghat माता मंदिर:
गड़ियाघाट माता मंदिर तक पहुंचना बेहद आसान है। शाजापुर जिला मुख्यालय से यह स्थान लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और यहां तक पहुंचने के लिए स्थानीय बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
गड़ियाघाट माता मंदिर ने स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा दिया है। हर साल यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में होटल, रेस्टोरेंट और अन्य सुविधाओं का विकास हुआ है। मंदिर के पास स्थानीय बाजार भी हैं, जहां पर्यटक धार्मिक वस्त्र, पूजा सामग्री और स्मृति चिह्न खरीद सकते हैं। इसके अलावा, काली सिंध नदी के किनारे का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को एक शांत और सुकूनदायक अनुभव प्रदान करता है।