Natwarlal: ‘नटवरलाल’भारत का मास्टर ठग जिसने ताजमहल और लाल किला तक बेच दिया

Natwarlal: भारत के इतिहास में कई महान हस्तियों और व्यक्तियों के नाम दर्ज हैं, लेकिन एक नाम ऐसा भी है जिसने अपनी चतुराई और जालसाजी से न सिर्फ कानून को चकमा दिया बल्कि इतिहास के सबसे बड़े ठगों में भी अपना नाम दर्ज कराया।

September 24, 2024
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Natwarlal: 'नटवरलाल'भारत का मास्टर ठग जिसने ताजमहल और लाल किला तक बेच दिया

Natwarlal: भारत के इतिहास में कई महान हस्तियों और व्यक्तियों के नाम दर्ज हैं, लेकिन एक नाम ऐसा भी है जिसने अपनी चतुराई और जालसाजी से न सिर्फ कानून को चकमा दिया बल्कि इतिहास के सबसे बड़े ठगों में भी अपना नाम दर्ज कराया। यह नाम है भारत के मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव, जिसे दुनिया नाथू लाल और नटवरलाल के नाम से भी जानती है।

नटवरलाल ने अपनी ठगी के अनोखे कारनामों से पूरे भारत में तहलका मचा दिया था। उसने इतनी चालाकी से 3 बार ताजमहल, 2 बार लाल किला और 1 बार राष्ट्रपति भवन बेचा था कि लोग और पुलिस भी उसकी चालों से हैरान रह गए।

Natwarlal का परिचय:

नटवरलाल(Natwarlal) का असली नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था और वह बिहार के सीवान जिले के बंगरा गांव का रहने वाला था। उसका जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था। मिथलेश की पढ़ाई में ज्यादा रूचि तो नहीं थी लेकिन मिथलेश को फुटबाल और शतरंज काफी पसंद था। इसी कारणवश मिथलेश उर्फ नटवरलाल मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो गया और उसके पिताजी ने काफी पिटाई कर दी।

शुरुआत में वह एक साधारण व्यक्ति के जैसा ही जीवन व्यतीत कर रहा था, लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, उसकी ठगी की प्रवृत्ति ने उसे अपराध की दुनिया में सबसे कुख्यात व्यक्ति बना दिया। एक दिन मिथलेश ने अपने पडोसी ही ठग लिया। पड़ोसी ने उसे बैंक में ड्राफ्ट जमा कराने भेजा था। मिथलेश ने पड़ोसी के फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक अकाउंट से रुपए निकाल लिए। इस पर पिता ने उसको पीटा तो वह घर से भागकर कोलकाता चला आया।

कैसे करता था ठगी:

नाथू लाल(Natwarlal)एक बेहद चालाक और होशियार ठग था, जिसे पहचान बदलने और अपनी चतुराई से लोगों को भ्रमित करने में महारत हासिल थी। उसके पास इतनी बेहतरीन अदाकारी और वक्तृत्व कला थी कि वह बड़े-बड़े व्यापारियों, उद्योगपतियों, यहां तक कि सरकारी अधिकारियों को भी धोखा दे सकता था। नाथू लाल की ठगी का तरीका बेहद खास था। वह सबसे पहले अपने शिकार को अच्छी तरह से परखता था और फिर उसकी आर्थिक स्थिति का विश्लेषण करता था।

वह सिर्फ उन लोगों को निशाना बनाता था, जिनके पास अच्छी खासी संपत्ति होती थी और जो जल्दी अमीर बनने की चाहत रखते थे। इसके अलावा नटवरलाल को पहचान बदलने और नकली पहचान पत्र बनाने में महारत हासिल थी। वह कभी किसी सरकारी अधिकारी, कभी किसी बड़े व्यापारी, तो कभी किसी समाजसेवी का रूप धरता था।

इसके साथ ही वह संबंधित दस्तावेज भी नकली बनाता था, जो बेहद असली दिखाई देते थे। उसने कई बार सरकारी मुहरें और हस्ताक्षर नकली बनाए ताकि वह अपने शिकार को यकीन दिला सके कि वह किसी बड़े पद पर है और सरकारी इमारतों को खरीदने-बेचने का अधिकार रखता है।

कैसे बेचा ताजमहल, लालकिला और संसद को:

Natwarlal ने कई बार सरकारी अधिकारी बनकर सरकारी दस्तावेजों पर नकली हस्ताक्षर करके लोगों को जमीनें और सरकारी इमारतें बेच दीं। लेकिन नाथू लाल की ठगी की सबसे मशहूर कहानियों में ताजमहल, लाल किला, और भारतीय संसद को बेचने की घटनाएं शामिल हैं । ये सुनने में जितना असंभव लगता है, उतनी ही चतुराई से उसने इन इमारतों को ‘बेचा’।

उसने अमीर व्यापारियों और उद्योगपतियों को अपनी बातों में उलझाकर उन्हें ये यकीन दिलाया कि वे इन ऐतिहासिक इमारतों को खरीद सकते हैं। नाथू लाल ने कई बार ताजमहल, लाल किला और यहां तक कि संसद भवन तक को बेचने का दावा किया। उसकी ठगी का तरीका इतना भरोसेमंद और पेशेवर होता था कि लोग बिना कोई शक किए उसकी बातों पर यकीन कर लेते थे।

पुलिस और कानून:

नटवरलाल(Natwarlal) की ठगी का सिलसिला कई सालों तक चलता रहा, लेकिन उसे करीब 9 बार पकड़ा गया और हर बार वो फरार हो जाता था। हुई। नटवरलाल के खिलाफ 8 राज्यों में 100 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। अदालत ने नटवरलाल को 113 साल का सजा दी थी। आखरी बार जब नटवरलाल पुलिस के गिरफ्त में आया तब उसकी उम्र 84 साल थी। लेकिन साल 1996 में 24 जून के दिन बीमार होने उसने बहाना बनाया और फिर उसे इलाज के लिए एम्स ले जाया जाने लगा।

इसी दौरान वह पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। उसके बाद वो कहां गया आज तक किसी को नहीं पता चला। कई लोग मानते हैं कि वह मर चुका है, जबकि कुछ का कहना है कि वह आज भी कहीं न कहीं छिपा हुआ है और अपने पुराने कारनामों को याद कर रहा है।