Patni Pidit Purush Ashram: हमारे देश में कई तरह के आश्रम मौजूद हैं। इनमें से कई आश्रम साधु संतों के हैं जहां लोग आध्यात्म के लिए जाते हैं। कई ऐसे आश्रम हैं जहां गरीब लोगों के रहने की व्यवस्था की जाती है। कई जगहों पर वृद्धा आश्रम भी हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे आश्रम के बारे में बताने जा रहे हैं जो इनसे अलग है।
यह आश्रम पत्नियों से पीड़ित पतियों (Patni Pidit Purush Ashram) के लिए बनाया गया है। इस आश्रम में ऐसे पुरुषों को ही रहने की अनुमति मिलती है जो अपनी पत्नी से परेशान (Patni Pidit Purush Ashram) हों।
Patni Pidit Purush Ashram:
समाज में रिश्तों का महत्व अद्वितीय है, लेकिन कभी-कभी वैवाहिक जीवन में समस्याएं इस हद तक बढ़ जाती हैं कि पुरुष भी पीड़ा के शिकार हो जाते हैं। ऐसे पुरुषों की समस्याओं को समझने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए महाराष्ट्र के औरंगाबाद में पत्नी पीड़ित आश्रम (Patni Pidit Purush Ashram) की स्थापना की गई है। यह आश्रम उन पुरुषों के लिए एक सुरक्षित स्थान है जो घरेलू हिंसा, मानसिक उत्पीड़न, और झूठे आरोपों के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
पत्नी पीड़ित पुरुष आते हैं सलाह लेने:
यह अनोखा आश्रम (Patni Pidit Purush Ashram) महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। इस आश्रम (Patni Pidit Purush Ashram) को पत्नियों द्वारा पीड़ित पुरुषों के लिए खोला गया है। पत्नी पीड़ित पुरुष आश्रम औरंगाबाद से करीब 12 किलोमीटर दूर शिरडी-मुंबई हाईवे पर बना है।
इस आश्रम पर कई पत्नी पीड़ित पुरुष (Patni Pidit Purush Ashram) रोजाना सलाह लेने आते रहते हैं। हाइवे से देखने पर ये आश्रम किसी सामान्य घर की तरह ही दिखाई देता है। लेकिन आश्रम के अंदर जाते ही अलग अनुभव की प्राप्ति होती है।
किसने की इस आश्रम की स्थापना:
पत्नी पीड़ित आश्रम की स्थापना 19 नवंबर 2016 पुरूष अधिकार दिवस के अवसर पर भारत भालेराव ने की। भारत भालेराव खुद को पत्नी पीड़ित (Patni Pidit Purush Ashram) बताते हैं। उनके द्वारा यह आश्रम बनाने का उद्देश्य उन पुरुषों को सहारा देना है जो अपने वैवाहिक जीवन में असंतुलन और उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं।
भालेराव का मानना है कि समाज में पुरुषों को अक्सर “शक्तिशाली” और “सभी समस्याओं का हल निकालने वाला” माना जाता है, जिससे उनकी भावनात्मक और मानसिक समस्याओं को नज़रअंदाज कर दिया जाता है।
आश्रम में मिलती है पत्नी पीड़ित पतियों को ये सेवाएं:
इस आश्रम में पत्नी पीड़ित पतियों को विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान की जाती हैं। पत्नियों की वजह से मानसिक तनाव और अवसाद से जूझ रहे पुरुषों को यहां परामर्श दिया जाता है। यह सेवा अनुभवी काउंसलर्स और मनोवैज्ञानिकों के माध्यम से प्रदान की जाती है।
जिन पुरुषों पर पत्नियों द्वारा झूठे आरोप लगाए गए हैं, उन्हें कानून से संबंधित मदद प्रदान की जाती है। आश्रम के वकील यह सुनिश्चित करते हैं कि उनकी बात न्यायालय में सुनी जाए। आश्रम में आने वाले पुरुषों के लिए समूह चर्चाओं का आयोजन किया जाता है, ताकि वे अपनी समस्याओं को साझा कर सकें और अन्य लोगों से प्रेरणा ले सकें।
क्यों हुई इस आश्रम की आवश्यकता:
भारतीय समाज में पत्नी पीड़ित पुरुषों की समस्याओं को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। घरेलू हिंसा और दहेज विरोधी कानून जैसे मुद्दे महिला अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं, लेकिन कई बार इनका दुरुपयोग कर पुरुषों को निशाना बनाया जाता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, झूठे मामलों में फंसे पुरुषों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। इन परिस्थितियों में, पत्नी पीड़ित आश्रम जैसे संस्थानों का महत्व और बढ़ जाता है।
आश्रम के नियम:
इस आश्रम में एंट्री करना आसान नहीं है। आश्रम में एंट्री के लिए पत्नी की ओर से कम से कम 20 केस दाखिल होना जरूरी है। इसके साथ ही गुजारा भत्ता न चुकाने से जेल मे जाकर आया हुआ व्यक्ति आश्रम में प्रवेश ले सकता है।
पत्नी द्वारा केस दाखिल करने के बाद जिसकी नौकरी गई ऐसा व्यक्ति यहां रह सकता है। दूसरी शादी करने का विचार भी मन में न लाने वाले व्यक्ति को प्रवेश मिलेगा। आश्रम मे रहने के बाद अपनी कौशल के अनुसार काम करना जरूरी।
आश्रम को लेकर हुई आलोचनाएं भी:
जहां एक ओर इस आश्रम को पीड़ित पुरुषों के लिए आशा की किरण के रूप में देखा जाता है, वहीं दूसरी ओर इसे लेकर आलोचनाएं भी हैं। कई लोग इसे एक पितृसत्तात्मक विचारधारा को बढ़ावा देने वाला मानते हैं। समाज के कुछ वर्गों का कहना है कि यह संस्थान पुरुषों को महिला अधिकारों के खिलाफ खड़ा करता है।
इसके अलावा, फंडिंग और संसाधनों की कमी भी इस आश्रम के सामने एक बड़ी चुनौती है। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों से अपेक्षित समर्थन प्राप्त करना अक्सर मुश्किल हो जाता है।
कई व्यक्तियों को मिली सहायता:
आश्रम की प्रभावशीलता को इसकी सफलता की कहानियों से समझा जा सकता है। यहां आए कई पुरुष अपनी समस्याओं का समाधान पाकर एक नया जीवन शुरू कर चुके हैं। 2022 में, एक व्यक्ति ने यह स्वीकार किया कि आश्रम की सहायता से उन्होंने अपनी कानूनी लड़ाई जीती और अपने बच्चों की कस्टडी प्राप्त की। ऐसी कहानियां इस आश्रम के महत्व को रेखांकित करती हैं।