MahaKumbh Shahi Snan 2025: महाकुंभ हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र आयोजन माना जाता है। इस वर्ष यानि 2025 में इस महोत्सव का आयोजन 12 साल के बाद प्रयागराज में होने जा रहा है। महाकुंभ का मुख्य आकर्षण शाही स्नान होता है| जिसे देवताओं और ऋषि-मुनियों का स्नान भी माना जाता है।
यह आयोजन आध्यात्मिकता, परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं का प्रतीक है। हिंदू धर्म के अनुसार शाही स्नान को मोक्ष प्राप्ति और पापों से मुक्ति का माध्यम माना जाता है। शाही स्नान के दौरान संत, महंत, अखाड़ों के साधु-संत और नागा साधु पारंपरिक धूमधाम से गंगा में स्नान करते हैं। लोगों में इस कुंभ को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है| 45 दिनों तक चलने वाले इस मेले में अनुमान है कि करीब 40 से 45 करोड़ लोग शामिल हो सकते हैं|
MahaKumbh 2025 में शाही स्नान की तिथियां:
यदि आप भी MahaKumbh में राजसी स्नान की तिथियों पर स्नान करने जा रहे हैं तो पहले उनकी तारीखों और स्नान के नियमों व शुभ मुहूर्त के बारे में जरूर जान लें|
पहला शाही स्नान : मकर संक्रांति (14 जनवरी 2025)
दूसरा शाही स्नान : मौनी अमावस्या (29 जनवरी 2025)
तीसरा शाही स्नान : बसंत पंचमी ( 3 फरवरी 2025)
चौथा शाही स्नान : माघी पूर्णिमा (12 फरवरी 2025)
पांचवां शाही स्नान : महाशिवरात्रि (26 फरवरी 2025)
MahaKumbh Shahi Snan 2025 में राजसी स्नान के शुभ मुहूर्त:
पहला राजसी स्नान पौष पूर्णिमा यानि 13 जनवरी 2025 पर होगा | इस दिन स्नान का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5.27 बजे से 6.21 बजे तक रहेगा| जबकि विजय मुहूर्त दोपहर 2.15 बजे से 2.57 बजे तक रहेगा| गोधूलि मुहूर्त की बात करें तो वह 13 जनवरी की शाम 5.42 बजे से शाम 6.09 बजे तक रहेगा| वहीं निशिता मुहूर्त रात 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा| आप पहला राजसी स्नान इनमें से किसी भी शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं |
MahaKumbh Shahi Snan 2025 के नियम और सावधानियां:
माना जाता हैं कि MahaKumbh के समय ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति विशेष रहती है, इसी कारण से संगम का जल काफी पवित्र हो जाता है | इसीलिए उस दौरान राजसी स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है| कहा जाता हैं कि यदि यह स्नान करते समय नियमों का पालन नहीं किया जाता हैं तो मनुष्य को इसका पुण्य फल नहीं मिलता | जैसा कि हमने पहले भी बताया इस स्नान को सबसे पहले साधु-संत करते हैं |
उसके बाद ही आम लोगों का नंबर आता है | स्नान से पहले संगम तट पर भगवान की प्रार्थना और ध्यान करना चाहिए। इससे मन और आत्मा की शुद्धि होती है। उसके बाद गंगा में स्नान करते समय मन में भगवान का नाम जपें। अशुद्ध विचारों और कर्मों से बचें। गंगा नदी को पवित्र और देवी स्वरूप माना जाता है। गंगा में गंदगी न डालें और उसके प्रति श्रद्धा रखें। ध्यान रखें कि स्नान के दौरान शैंपू या साबुन का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए |
ऐसा करने से जल गंदा हो सकता है| संगम तट पर प्लास्टिक का उपयोग न करें और स्वच्छता का ध्यान रखें। स्नान के दौरान सुरक्षा अधिकारियों द्वारा बताए गए नियमों का पालन करें। स्नान के बाद संगम तट पर दान-पुण्य और पूजा-पाठ करना चाहिए। यह शुभ माना जाता है। महाकुंभ के दौरान झूठ बोलने, नशा करने, हिंसा करने और अनुचित व्यवहार से बचना चाहिए।
क्यों खास है प्रयागराज:
हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार , 4 स्थानों पर अमृत की बूंद गिरी थी,जिनमें से प्रयागराज भी एक स्थान है | अन्य तीन स्थान हरिद्वार, उज्जैन और नासिक हैं | इसके अलावा प्रयागराज में त्रिवेणी संगम यानि गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम भी होता है | यह स्थान त्रिवेणी घाट के नाम से भी जाना जाता है |
ऐसी मान्यता है कि गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है | बता दें कि महा कुंभ के स्नानों में उन तिथियों को जिसमें राजसी स्नान जिसे शाही स्नान भी कहा जाता है ,किया जाता है उन्हें बेहद शुभ माना गया है| सबसे पहले साधु-संत इन तिथियों में पवित्र संगम में स्नान करते हैं| उसके बाद ही आम लोगों को अपने तन और मन दोनों की शुद्धि के लिए इस संगम में स्नान करने का अवसर प्राप्त होता है |
डिस्क्लेमर: इस लेख में प्रस्तुत जानकारी ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। विभिन्न माध्यमों से एकत्रित करके ये जानकारियाँ आप तक पहुँचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज़ सूचना पहुँचाना है। viralnewsvibes.com इस जानकारी की सटीकता, पूर्णता, या उपयोगिता के बारे में कोई दावा नहीं करता और इसे अपनाने से होने वाले किसी भी परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं होगा। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने विवेक और निर्णय का उपयोग करें।