Virtual Autism: आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन और टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। मोबाइल फोन अब मनोरंजन और शिक्षा का भी एक अच्छा साधन बन गया है। इसी वजह से लोगों को मोबाइल की लत लग गई है। लोग अपने मोबाइल को खुद से एक मिनिट के लिए भी दूर नहीं करते। कई लोग तो घंटों तक मोबाइल पर ही लगे रहते हैं। अब बड़ों के साथ बच्चों में भी मोबाइल की लत देखने को मिल रही है।
लेकिन इसका अधिक उपयोग बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। एक नई चिंता का विषय ‘वर्चुअल ऑटिज्म’ (Virtual Autism) है, जो बच्चों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अत्यधिक उपयोग से संबंधित होता है। इस लेख में हम आपको वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) के लक्षणों, कारणों और उपचार के बारे में बताएंगे।
क्या है Virtual Autism:
वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (विशेषकर मोबाइल और टैबलेट) का अत्यधिक उपयोग करने के कारण सामाजिक और संचार कौशल में कमी आ जाती है। यह पारंपरिक ऑटिज्म (Virtual Autism) जैसा ही होता है, लेकिन इसका मुख्य कारण बच्चों का स्क्रीन के साथ अत्यधिक समय बिताना होता है। जिन बच्चों को ज्यादा समय स्क्रीन के सामने बिताने दिया जाता है, उनमें यह स्थिति (Virtual Autism) विकसित होने का जोखिम अधिक होता है। वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) का ज्यादा असर अक्सर 4-5 साल के बच्चों में देखने को मिलता है। स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों में बोलने और समाज में दूसरों से बातचीत करने में दिकक्त होने लगती है।
वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षण:
वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) के लक्षण पारंपरिक ऑटिज्म के लक्षणों से मिलते-जुलते हो सकते हैं। अगर बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) के लक्षणों की बात करें कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। बच्चा दूसरों के साथ बातचीत करने में रुचि नहीं दिखाता, यहां तक कि माता-पिता और भाई-बहनों के साथ भी। बच्चे की आंखों में देखने की आदत कम हो जाती है, जिससे वह लोगों से जुड़ नहीं पाता। भाषा और बोलचाल के विकास में देरी होती है।
बच्चा शब्दों का प्रयोग करने में असमर्थ हो सकता है या बोलना देर से शुरू कर सकता है। बच्चे में चिड़चिड़ापन, गुस्सा या अचानक बदलता व्यवहार देखा जा सकता है। बच्चे की नींद और खाने-पीने की आदतों में गड़बड़ी आ सकती है। बच्चा लंबे समय तक किसी एक गतिविधि में ध्यान नहीं दे पाता। बार-बार एक ही चीज करने की प्रवृत्ति: बच्चे को एक ही काम को बार-बार करना पसंद आता है, जैसे कोई गेम खेलते रहना या कोई वीडियो बार-बार देखना।
वर्चुअल ऑटिज्म के कारण:
वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) का मुख्य कारण बच्चों का मोबाइल, टैबलेट, या टीवी जैसी स्क्रीन के साथ अत्यधिक समय बिताना है। जब बच्चे छोटे होते हैं, तो उनका मस्तिष्क तेजी से विकास करता है और वे अपने आसपास के लोगों से सामाजिक और संचार कौशल सीखते हैं। लेकिन जब बच्चे स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो उनका मस्तिष्क प्राकृतिक तरीकों से सीखने में असमर्थ हो जाता है। इसके अलावा, वर्चुअल (Virtual Autism) दुनिया की रंगीन और तेज-तर्रार छवियां बच्चों के मस्तिष्क पर प्रभाव डाल सकती हैं, जिससे उनके सामाजिक और संचार कौशल की वृद्धि में बाधा उत्पन्न होती है।
वर्चुअल ऑटिज्म का उपचार:
वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) का उपचार समय रहते किया जा सकता है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता होती है। बच्चों के लिए स्क्रीन के साथ बिताए जाने वाले समय को सीमित करना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि 2 साल से छोटे बच्चों को स्क्रीन से पूरी तरह दूर रखा जाना चाहिए और बड़े बच्चों के लिए एक दिन में 1-2 घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं होना चाहिए।
बच्चों को दूसरों के साथ खेलने और बातचीत करने के अवसर दें। उन्हें सामाजिक गतिविधियों में शामिल करें, जैसे कि पार्क में खेलना, दोस्तों से मिलना, या परिवार के साथ समय बिताना। बच्चों से नियमित रूप से बातचीत करें और उन्हें बोलने के लिए प्रोत्साहित करें। उनके साथ किताबें पढ़ें, कहानियां सुनाएं और उन्हें बोलने और सवाल पूछने का मौका दें। बच्चों के लिए एक नियमित दिनचर्या बनाएं, जिसमें सोने, खाने और खेलने का समय निश्चित हो। इससे उनके शारीरिक और मानसिक विकास में संतुलन बना रहेगा।
बच्चों को शारीरिक गतिविधियों में शामिल करें। आउटडोर गेम्स, दौड़ना, साइकिल चलाना जैसी गतिविधियां न केवल उनकी ऊर्जा को सही दिशा में लगाती हैं, बल्कि उनके मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखती हैं। यदि आपके बच्चे में वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षण दिखते हैं, तो विशेषज्ञ की सलाह लें। एक बाल चिकित्सक या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस स्थिति का सही मूल्यांकन कर सकते हैं और उचित उपचार की सिफारिश कर सकते हैं।