Hotel of Death: हमारे देश में कई ऐसी जगहें हैं जो धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व रखती हैं। ऐसी जगहों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। भारत की प्राचीनतम नगरी वाराणसी (बनारस) भी इन्हीं धार्मिक जगहों में से एक है। वाराणसी (बनारस) को मोक्ष की भूमि कहा जाता है। यहां गंगा के किनारे स्थित कई घाट न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह भी माने जाते हैं कि यहां प्राण त्यागने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है। वाराणसी में कई ऐसे शमशान घाट हैं, जहां आग कभी ठंडी नहीं पड़ती। वाराणसी में लोग गंगा किनारे मोक्ष प्राप्ति के लिए भी आते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि वाराणसी में गंगा किनारे कई ‘मौत के होटल’ बने हैं। इन मौत के होटलों में लोग चेक इन तो करते हैं लेकिन कभी चेक आउट नहीं कर पाते हैं।
बनारस में Hotel of Death:
बनारस में ऐसे ही कुछ होटल हैं, जिन्हें मौत के होटल कहा जाता है। इन मौत के होटलों की चर्चा होती रहती है। इनको स्थानीय लोग ‘मुक्ति भवन’ या ‘मोक्ष होटल’ भी कहते हैं। इन होटलों की खास बात यह है कि कि इन होटलों में आने वाले लोग चेक-इन तो करते हैं, लेकिन वे कभी चेक आउट नहीं करते यानि वापस नहीं लौटते। दरअसल, इन होटलों में रुकने वाले लोगों का एक ही मकसद होता है—आखिरी सांस लेना और मृत्यु को गंगा किनारे आत्मसात करना।
लोग क्यों आते हैं इन Hotel of Death में:
क्या आप जानते हैं कि बनारस में दशाश्वमेध, मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट जैसे स्थानों के पास कुछ ऐसे ही मोक्ष होटल मौजूद हैं, जहां वृद्ध, बीमार और मृत्यु के करीब पहुंचे लोग अपने जीवन के अंतिम दिनों को बिताने आते हैं। इन्हें अक्सर ‘मोक्ष भवन’ या ‘मुक्ति भवन’ कहा जाता है। ये होटल या भवन खासतौर पर उन लोगों के लिए बनाए गए हैं, जो मानते हैं कि बनारस में मृत्यु होने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा। हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार, अगर किसी की मृत्यु बनारस में होती है और उसके शव का अंतिम संस्कार गंगा किनारे होता है, तो उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। इसी मान्यता के कारण देशभर से लोग यहां अपनी अंतिम सांस लेने आते हैं।
‘मुक्ति भवन’ में मौत का इंतजार करते हैं लोग:
बनारस में एक ऐसा ही गेस्ट हाउस है जो काफी प्रसिद्ध है। इस गेस्ट हाउस का नाम ‘मुक्ति भवन’ है, जिसे ‘मौत का होटल’ भी कहा जाता है। इस गेस्ट हाउस में सिर्फ उन्हीं लोगों को ठहरने दिया जाता है, जिन्हें लगता है कि उनकी मृत्यु निकट है। यहां का एक अनूठा नियम है—किसी भी व्यक्ति को 15 दिनों से ज्यादा रुकने की अनुमति नहीं होती। अगर किसी को 15 दिनों में मृत्यु नहीं होती, तो उसे यह भवन छोड़कर जाना पड़ता है। हालांकि, कई मामलों में विशेष अनुमति देकर किसी को कुछ और दिन रहने दिया जाता है, लेकिन ज्यादातर लोग इस समयसीमा के भीतर ही अंतिम सांस ले लेते हैं।
इतना है Hotel of Death का किराया:
बात करें इन मौत के होटल के किराए कि तो एक होटल के मालिक के अनुसार, बीमार लोग उनके होटल में कमरे लेते हैं। ज्यादातर लोगों में मरीज होते हैं, जिन्हें डॉक्टरों से जवाब मिल गया है। ऐसे लोग सिर्फ 20 रुपये प्रतिदिन के किराए पर होटल में रह सकते हैं और कई लोग अपनी मौत का इंतजार करते हुए लगभग दो महीने तक यहां रहते हैं। पिछले कुछ समय से मौत के इन होटलों की संख्या बढ़ रही है।
ऐसा होता है इन होटलों में माहौल:
मुक्ति भवन और ऐसे अन्य मौत के होटलों में एक अजीब सा सन्नाटा और आध्यात्मिक शांति रहती है। यहां रहने वाले लोग न तो किसी तरह की विलासिता की चाह रखते हैं और न ही कोई सांसारिक मोह। इन होटलों में बहुत ही सामान्य सुविधाएं दी जाती हैं—एक बिस्तर, एक छोटी सी अलमारी और पूजा-पाठ की जगह। भोजन भी सादा और सात्विक होता है। यहां आने वाले लोग अपना अधिकतर समय भजन-कीर्तन, गीता-पाठ और गंगा किनारे ध्यान में बिताते हैं।
इन होटलों के पीछे धार्मिक मान्यता:
बता दें कि बनारस को ‘मोक्ष नगरी’ कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां प्राण त्यागने से व्यक्ति को पुनर्जन्म नहीं लेना पड़ता और वह सीधा मोक्ष को प्राप्त करता है।
स्कंद पुराण और अन्य हिंदू ग्रंथों में वाराणसी की महिमा का उल्लेख किया गया है। इनमें कहा गया है कि भगवान शिव खुद यहां मृत्यु के समय व्यक्ति के कान में ‘तारक मंत्र’ कहते हैं, जिससे आत्मा को परम मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि लोग अपनी अंतिम सांस यहां लेना चाहते हैं।
मौत को लेकर डर हो जाता है खत्म:
मुक्ति भवन के मैनेजर का कहना है कि वे पिछले कई दशकों से इस जगह का प्रबंधन कर रहे हैं और हजारों लोगों को यहां अंतिम सांस लेते हुए देखा है। वे बताते हैं कि कई लोग यहां आने के बाद बहुत शांति और संतोष महसूस करते हैं और मृत्यु को लेकर उनका डर खत्म हो जाता है। उनका कहना है, “यहां लोग मरने नहीं, बल्कि मोक्ष पाने आते हैं। मृत्यु यहां एक डरावनी चीज नहीं, बल्कि आत्मा की मुक्ति का माध्यम है।”