Weird Tradition: हमारे देश में अलग अलग जगहों पर अलग अलग भाषाएं बोली जाती हैं। इसके साथ ही देश के अलग अलग हिस्सों में कई तरह की परंपराएं आज भी मानी जाती हैं। हर क्षेत्र में लोगों के रीति रिवाज अलग होते हैं। लेकिन कुछ रीति रिवाज और परंपराएं इतनी वित्रित्र और अजीबोगरीब(Weird) होती हैं कि इनके बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाते हैं। हमारे देश के कई समुदाय के लोगों के बीच इस तरह की अजीब परंपराएं आज भी प्रचलित हैं।
इन समुदाय के लोग आज भी इन अजीबोगरीब परंपराओं का पालन कर रहे हैं। ये परंपराएं लोग सदियों से निभाते आ रहे हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक अजीबोगरीब पंरपरा(Tradition) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आप भी एक बार हैरत में पड़ जाएंगे।
विचित्र परंपरा, पति जिंदा रहते विधवा बन जाती हैं महिलाएं:
हमारे यहां शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है। शादीशुदा औरतें सोहल श्रंगार कर तैयार होती हैं। सुहागिन स्त्रियों के लिए सुहाग की निशानियां जैसे मंगलसूत्र, सिंदूर, लाख का चूड़ा, माथे पर बिंदी बहुत अधिक महत्व रखते हैं। लेकिन अगर हम आपको बताएं कि कि हमारे देश मे एक समुदाय ऐसा भी है, जहां स्त्रियां सुहागिन यानी पति के जिंदा रहते हुए भी साल में कुछ समय के लिए विधवा बन जाती हैं। हैरान रह गए ना जानकर। दरअसल, यहां एक परंपरा(Tradition) प्रचलित है। जानते हैं इस विचित्र परंपरा के बारे में।
साल में कुछ समय विधवाओं की तरह रहती हैं महिलाएं:
हिंदू धर्म में जब किसी महिला की शादी हो जाती है तो उसके बाद वह मांग में सिंदूर लगाती है। गले में मंगलसूत्र पहनती है। हाथो में चुड़ियां पहनती हैं और माथे पर बिंदी लगाती हैं। दरअसल, हमारे देश में सुहागिन स्त्रियों के लिए ये श्रृंगार करना जरूरी माना जाता है। पत्नियां सोलह श्रृंगार कर अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं।
लेकिन एक समुदाय में स्त्रियां अपने पति के जीवित रहते हुए साल के कुछ महीने विधवाओं की तरह जीवन बिताती हैं। वे इस दौरान किसी तरह का कोई श्रृंगार नहीं करतीं। इस समुदाय की महिलाएं इस विचित्र रिवाज का पालन लंबे समय से करती आ रही हैं। जानते हैं महिलाएं ऐसा क्यों करती हैं और इसके पीछे क्या वजह है।
विचित्र परंपरा के पीछे यह है वजह:
यह विचित्र(Weird) परंपरा(Tradition) गछवाहा समुदाय की महिलाओं द्वारा निभाई जाती है। यह समुदाय पूर्वी उत्तर प्रदेश में रहता है। गछवाहा समुदाय की महिलाएं सुहागिन होते हुए भी साल के 5 महीने विधवाओं की तरह जीवन जीती हैं। दरअसल, यहां की महिलाएं ऐसा अपने पति की लंबी उम्र के लिए ही करती हैं।
न सिंदूर लगाती हैं न बिंदी:
दरअसल, गछवाहा समुदाय के पुरुष हर साल 5 महीने पेड़ों से ताड़ी उतारने का काम करते हैं। इन 5 महीनों के दौरान इन पुरुषों की पत्नियां विधवाओं की तरह जिंदगी जीती हैं। जब उनके पति पेड़ से ताड़ी उतारने जाते हैं तो इस दौरान उनकी पत्नियां किसी तरह का कोई श्रृंगार नहीं करतीं। इस दौरान वे ना तो सिंदूर लगाती हैं और ना माथे पर बिंदी।
श्रृंगार को उतारकर रख देती हैं मंदिर में:
दरअसल,गछवाहा समुदाय के लोग तरकुलहा देवी को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं। जब इस समुदाय के पुरुष पेड़ों से ताड़ी उतारने जाते हैं तो उनकी पत्नियां अपने सुहाग के श्रृंगार को इस कुलदेवी के मंदिर में उतारकर रख देती हैं। बता दें कि जिन पेड़ों (ताड़ के पेड़) से ताड़ी उतारी जाती है वे बहुत ही ऊंचे होते हैं। जरा की चूक होने पर लोग इतने ऊंचे पेड़ों से गिर भी जाते हैं। इतनी ऊंचाई से गिरने पर मौत तक हो जाती है।
ऐसे में यहां की महिलाएं अपनी कुलदेवी से उनके पतियों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं और अपने सुहाग के श्रृंगार को उतारकर कुलदेवी के मंदिर में रख देती हैं। इन महिलाओं का मानना है कि ऐसा करने से कुलदेवी उनके सुहाग की रक्षा करती हैं। साथ ही इस समुदाय में ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी कुलदेवी प्रसन्न होती हैं और उनके पतियों की रक्षा करती हैं।