Birds Suicide Point: भारत का ऐसा रहस्यमयी गांव, जहां पक्षी आकर कर लेते हैं सुसाइड

November 22, 2024
Birds Suicide Point
भारत का ऐसा रहस्यमयी गांव, जहां पक्षी आकर कर लेते हैं सुसाइड

Birds Suicide Point: दुनियाभर में कई ऐसी रहस्यमयी और विचित्र जगहें हैं, जिनके बारे में जानकर लोग हैरान रह जाते हैं। ऐसी ही रहस्यमयी जगहें भारत में भी मौजूद हैं। आपने अब तक इंसानों सुसाइड करने के बारे में सुना होगा लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक ऐसी रहस्यमयी जगह है, जहां चिड़िया आकर सुसाइड (Birds Suicide Point) कर लेती हैं। इस जगह को ‘चिड़ियों का सुसाइड पॉइंट’ (Birds Suicide Point) भी कहा जाता है। यह रहस्यमयी और विचित्र जगह उत्तर-पूर्वी राज्य असम में है।

दरअसल, असम में एक छोटा सा गांव है जिसका नाम है जतिंगा। जतिंगा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनोखी घटनाओं के कारण दुनिया भर में चर्चा का विषय है। इस गांव में हर साल सितंबर से लेकर नवंबर महीने में एक रहस्यमयी घटना होती है। दरअसल, यहां आकर पक्षी और चिड़ियां सुसाइड (Birds Suicide Point) कर लेती हैं। इसी वजह से इस गांव को ‘चिड़ियों का सुसाइड पॉइंट’ (Birds Suicide Point) के नाम से भी जाना जाता है।

जतिंगा की प्राकृतिक सुंदरता:

जतिंगा असम के दीमा हसाओ जिले में स्थित एक पहाड़ी गांव है। यह गांव हरियाली से भरपूर है और चारों तरफ घने जंगलों से घिरा हुआ है। यहां का शांत वातावरण और ठंडी जलवायु इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाते हैं। लेकिन इस गांव की असली पहचान इसके प्राकृतिक सौंदर्य से नहीं, बल्कि पक्षियों की रहस्यमयी मौत (Birds Suicide Point) से है।

Birds Suicide Point:

हर साल सितंबर से लेकर नवंबर माह तक खासकर कोहरे वाली रातों में, जतिंगा में बड़ी संख्या में पक्षी मरते हैं। ये पक्षी पेड़ों, इमारतों से टकराकर जमीन पर आकर गिर जाते हैं। हैरानी की बात यह है कि ये घटना केवल शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच होती है। इन पक्षियों में स्थानीय और प्रवासी प्रजातियां दोनों शामिल होती हैं। इसे चिड़ियों का सुसाइड पॉइंट (Birds Suicide Point) भी कहा जाता है।

इस घटना को सामूहिक सुसाइड कहा जाता है, लेकिन यह शब्द पूरी तरह से सही नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पक्षी वास्तव में आत्महत्या नहीं करते, बल्कि कुछ प्राकृतिक और पर्यावरणीय कारणों से भ्रमित होकर मरते हैं।

पक्षियों के सुसाइड के कारण:

दरअसल, जतिंगा गांव में घना कोहरा और धुंध रहने के कारण पक्षी दिशा भटक जाते हैं। जब वे गांव की रोशनी देखते हैं, तो उसकी ओर आकर्षित होकर तेजी से उड़ते हैं और किसी चीज़ से टकरा जाते हैं। इससे उनकी मौत हो जाती है। मानसून के बाद जब हवाएं बदलती हैं और मौसम ठंडा होता है, तो पक्षियों के नेविगेशन सिस्टम पर इसका असर पड़ता है। यह भी एक कारण हो सकता है कि वे गांव की ओर खिंचते हैं।

वहीं कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि जतिंगा के आसपास का चुंबकीय क्षेत्र पक्षियों के प्राकृतिक नेविगेशन को प्रभावित करता है, जिससे वे अपनी राह भूल जाते हैं। जतिंगा के स्थानीय निवासी खासी और जेमे नागा जनजातियों के लोग हैं। उनके बीच पक्षियों की इस घटना को लेकर कई मिथक प्रचलित हैं। कुछ लोग इसे दैवीय क्रोध का संकेत मानते हैं, जबकि कुछ इसे आत्माओं का काम मानते हैं। प्राचीन समय में इस घटना से डरकर लोग गांव छोड़ने की योजना तक बना चुके थे।

शोध करने आते हैं विशेषज्ञ:

पक्षियों की इस रहस्यमयी घटना ने जतिंगा को एक पर्यटन स्थल बना दिया है। हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक और पक्षी-विज्ञान के शोधकर्ता यहां आते हैं। यह घटना वैज्ञानिकों के लिए पक्षियों के व्यवहार और पर्यावरणीय प्रभावों को समझने का एक अनोखा मौका प्रदान करती है। जतिंगा गांव पक्षियों की रहस्यमयी मौतों की वजह से एक अद्वितीय स्थान है।

यह घटना न केवल प्रकृति के रहस्यों को उजागर करती है, बल्कि मानव और प्रकृति के बीच के गहरे संबंध को भी दर्शाती है। हालांकि वैज्ञानिकों ने इसके पीछे के कारणों को काफी हद तक समझ लिया है, फिर भी यह घटना हमारे लिए एक याद दिलाने वाली है कि प्रकृति की शक्तियां कितनी जटिल और अद्भुत हो सकती हैं।