Diwali 2024: दीपावली(Diwali) का त्योहार भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल दीपावली(Diwali) 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। 5 दिनों तक चलने वाले इस रोशनी के पर्व में लोग नए कपड़े पहनते हैं और घरों को दीयों से सजाते हैं। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, 14 वर्षों का वनवास पूरा करके और रावण का वध करके भगवान राम इस दिन अयोध्या लौटे थे।
अयोध्यावासियों ने उनकी वापसी की खुशी में दीप जलाए थे। तभी से दीप जलाने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि नेपाल में भी यह त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, हालांकि वहां की परंपराएं भारत से थोड़ी अलग हैं?
नेपाल में दीपावली(Diwali) को तिहार के नाम से जाना जाता है। यह देश का सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय पर्व है, जो 5 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। नेपाल की इस दिवाली की खास बात यह है कि यहां कुत्तों की पूजा की जाती है, जिसे ‘कुकुर तिहार’ कहा जाता है।
Diwali तिहार एक पांच दिवसीय पर्व:
नेपाल का Diwali तिहार पर्व 5 दिनों तक मनाया जाता है, और हर दिन का अपना खास महत्व और पूजा विधान होता है। तिहार के इन पांच दिनों में विभिन्न जानवरों और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।
पहला दिन-कौवा तिहार:
तिहार का पहला दिन कौवों को समर्पित होता है। कौवे को संदेशवाहक माना जाता है, और इस दिन इन्हें भोजन खिलाया जाता है। नेपाल में लोग मानते हैं कि कौवे मृत्यु या बुरी घटनाओं के प्रतीक होते हैं, इसलिए उन्हें खुश रखना आवश्यक होता है। घरों में सुबह-सुबह कौवों के लिए भोजन रखा जाता है ताकि घर में शांति और समृद्धि बनी रहे।
दूसरा दिन-कुत्तों की पूजा:
तिहार का दूसरा दिन कुत्तों की पूजा के लिए समर्पित होता है। इसे ‘कुकुर तिहार’ कहा जाता है। इस दिन कुत्तों को तिलक लगाया जाता है, फूलों की माला पहनाई जाती है, और उनके लिए स्वादिष्ट भोजन तैयार किया जाता है।
नेपाल में कुत्तों को यमराज का वाहन माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा करके लोग मृत्यु और आपदाओं से सुरक्षा की कामना करते हैं। चाहे वह पालतू कुत्ते हों या आवारा, सभी कुत्तों को इस दिन सम्मानित किया जाता है।
तीसरा दिन-गाय की पूजा:
तिहार के तीसरे दिन गाय की पूजा की जाती है, जिसे ‘गाई तिहार’ कहा जाता है। गाय को हिंदू धर्म में मां का दर्जा दिया गया है और उसे समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन गायों को फूलों की माला पहनाई जाती है, और उन्हें पूजा के बाद स्वादिष्ट भोजन दिया जाता है।
शाम को लक्ष्मी पूजा होती है, जिसमें देवी लक्ष्मी की आराधना की जाती है। घरों को दीपों से सजाया जाता है, और दरवाजे पर रंगोली बनाई जाती है ताकि देवी लक्ष्मी का स्वागत हो सके और घर में धन-धान्य की वृद्धि हो।
चौथा दिन-गोवर्धन पूजा:
चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत और मवेशियों की पूजा करते हैं। नेपाल में इस दिन विशेष रूप से बैलों की पूजा होती है, जिन्हें कृषि कार्यों में महत्वपूर्ण सहयोगी माना जाता है। इस दिन बैलों को सजाया जाता है और उन्हें अच्छे भोजन से संतुष्ट किया जाता है।
पांचवा दिन-भाई दूज:
तिहार का पांचवा और अंतिम दिन भाई दूज होता है। इसे ‘भाई तिका’ भी कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं। भाई-बहन के इस खास दिन पर भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और दोनों एक-दूसरे की सलामती के लिए प्रार्थना करते हैं।
तिहार के पांच दिनों के इस उत्सव में हर दिन का एक खास महत्व होता है, और यह पर्व न केवल धार्मिक पूजा का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का भी प्रतीक है।