Polyandry: दुनिया में अलग अलग जगहों पर अलग अलग परंपराएं हैं। इनमें से कई परंपराएं और प्रथाएं बहुत अजीब हैं। इन प्रथाओं को लोग आज भी निभा रहे हैं। इन प्रथाओं के बारे में जानकर सभी हैरान रह जाते हैं। क्या आपको पता है कि दुनिया में कई जगहें ऐसी भी हैं, जहां बहुपतित्व की प्रथा भी है।
हालांकि इसके पीछे अलग अलग कारण हैं। वैसे तो हमारे समाज में बहुपतित्व (Polyandry) की प्रथा को सही नजरों से नहीं देखा जाता लेकिन एक समुदाय ऐसा भी है, जहां बहुपतित्व (Polyandry) को बुरा नहीं माना जाता। यहां कई भाईयों की एक ही पत्नी (Polyandry) होती है और यहां एक पत्नी कई पतियों के साथ एक ही घर में रहती है। यह बहुपतित्व (Polyandry) की प्रथा तिब्बत में है।
कई भाईयों की एक ही पत्नी:
बहुपतित्व एक ऐसी प्रथा है जिसमें एक महिला के एक से अधिक पति होते हैं। तिब्बती समाज में यह प्रथा विशेष रूप से “फ्रेटर्नल पॉलियंड्री” (Fraternal Polyandry) के रूप में प्रचलित रही है, जिसमें एक ही परिवार के कई भाई एक ही महिला से विवाह करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य परिवार की संपत्ति और संसाधनों को विभाजित होने से बचाना है।
तिब्बत में Polyandry की प्रथा:
तिब्बत, अपने अनूठे भूगोल, संस्कृति और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां की परंपराओं में से एक प्रमुख प्रथा है बहुपतित्व (Polyandry), जो विशिष्ट रूप से तिब्बती समाज का हिस्सा रही है। यह प्रथा न केवल सामाजिक संरचना को समझने में मदद करती है, बल्कि तिब्बती समाज की आर्थिक और सांस्कृतिक जड़ों को भी उजागर करती है।
इतिहास और प्रथा के कारण:
तिब्बत के कठोर भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के कारण कृषि और पशुपालन जैसे संसाधनों पर निर्भरता रही है। जमीन का सीमित और उपजाऊ भाग होने के कारण परिवारों को इसे विभाजित होने से बचाने के लिए बहुपतित्व प्रथा को अपनाना पड़ा।
एक महिला से शादी करने वाले भाइयों (Polyandry) का संयुक्त परिवार एक ही संपत्ति पर निर्भर रहता है। इससे जमीन और संपत्ति बंटती नहीं है और संसाधनों का बेहतर प्रबंधन होता है। तिब्बती समाज में परिवारों का एकजुट रहना और सामुदायिक सहयोग की भावना प्रमुख है। यह प्रथा इन मूल्यों को बनाए रखने में सहायक रही है।
तिब्बत में पुरुषों और महिलाओं के अनुपात में भिन्नता के कारण भी यह प्रथा अस्तित्व में आई। बहुपतित्व के कारण परिवारों में झगड़ों और विवादों की संभावना कम होती है, क्योंकि सभी भाई एक ही महिला से जुड़े होते हैं। इस प्रथा में महिलाओं को परिवार की धुरी माना जाता है। वे परिवार के सभी सदस्यों को साथ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
धीरे-धीरे कम हो रही यह प्रथा:
बहुपतित्व प्रथा में बच्चे पूरे परिवार की संयुक्त जिम्मेदारी माने जाते हैं, जिससे उनकी परवरिश में सामूहिक योगदान होता है। हालांकि आधुनिकीकरण और सामाजिक बदलाव के कारण तिब्बत में बहुपतित्व प्रथा धीरे-धीरे कम हो रही है। इसके अलावा चीन सरकार, जो तिब्बत पर प्रशासनिक अधिकार रखती है, ने बहुपतित्व को कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी है।
तिब्बती युवा अब शिक्षा और रोजगार के लिए बड़े शहरों की ओर जा रहे हैं। इससे पारंपरिक प्रथाओं में बदलाव हो रहा है। आधुनिक विचारधाराओं के कारण महिलाएं अब अपनी इच्छाओं और अधिकारों को लेकर अधिक जागरूक हो रही हैं, जिससे प्रथा का पालन कम हो रहा है।
प्रथा को लेकर विवाद और आलोचना:
कुछ आलोचक बहुपतित्व को महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकारों पर प्रतिबंध के रूप में देखते हैं। उन लोगों का मानना है कि यह प्रथा महिलाओं को परिवार की संपत्ति और परंपरा को बनाए रखने के साधन के रूप में उपयोग करती है। इसके विपरीत, इसके समर्थकों का कहना है कि यह प्रथा तिब्बती समाज के लिए व्यवहारिक और आर्थिक रूप से लाभकारी रही है।