Unique Tradition: आत्मा की शांति के लिए अनोखी परंपरा ,जहां अस्पताल और दुर्घटना स्थल से मृत रिश्तेदारों की आत्मा ले जाते हैं लोग

Unique Tradition: नीमच जिले में, किसी दुर्घटना या अस्पताल में मृत्यु होने पर परिजनों के लिए केवल अंतिम संस्कार ही काफी नहीं होता। उनका मानना है कि इस प्रकार मृत्यु होने से आत्मा तुरंत परमगति को प्राप्त नहीं होती।

November 01, 2024
Unique Tradition
Unique Tradition: आत्मा की शांति के लिए अनोखी परंपरा ,जहां अस्पताल और दुर्घटना स्थल से मृत रिश्तेदारों की आत्मा ले जाते हैं लोग

Unique Tradition: भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विविधताओं के लिए जाना जाता है | यहाँ पर कई प्रकार की जान-जातियां निवास करती हैं जिनकी अपनी विचित्र मान्याताएं(Unique Tradition) और परंपराएं हैं। आज के आधुनिक युग में भी इनमें से कई लोग अंधविश्वास और तंत्र मंत्र में विश्वास रखते हैं।

मध्यप्रदेश का नीमच जिला भी अपनी विशेष परंपरा(Unique Tradition) और रहस्यमयी विश्वास के कारण चर्चा में रहता है। यहां के लोग आज भी तंत्र मंत्र में विश्वास रखते हैं। यहां के लोग अस्पतालों या दुर्घटना स्थलों पर मारे गए अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए अनोखी तंत्र-मंत्र की प्रक्रिया का सहारा लेते हैं।

यह लोग मृत आत्माओं को लेने किसी श्मशान घाट में नहीं जाते बल्कि जिला अस्पताल से ले जाते हैं। जी हाँ अपने बिलकुल ठीक पड़ा यहां लोग मृत आत्माओं को जिला अस्पताल से ज्योति के रूप में घर ले जाते हैं। ग्रामीण इलाकों के इन लोगों का मानना है कि यह उनकी परंपरा हैं। इस परंपरा(Unique Tradition)को ‘गातला’ कहा जाता है।

मृत आत्माएं ज्योत के रूप में ले जाते हैं:

नीमच जिले में, किसी दुर्घटना या अस्पताल में मृत्यु होने पर परिजनों के लिए केवल अंतिम संस्कार ही काफी नहीं होता। उनका मानना है कि इस प्रकार मृत्यु होने से आत्मा तुरंत परमगति को प्राप्त नहीं होती। इसके लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है जिसे ‘गातला’ कहते हैं। यह परम्परा सालों पुरानी है। यहां के लोग इस मान्यता को बहुत महत्व देते हैं।

इसके तहत एक विशेष पुजारी को बुलाया जाता है, जो तंत्र-मंत्र द्वारा आत्मा को घर लाने की कोशिश करता है। पुजारी इस प्रक्रिया में एक प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन करता है। अनुष्ठान में मंत्रोच्चारण और पूजा-पाठ के साथ आत्मा को उस स्थान से मुक्त किया जाता है। इसके बाद, मृतक की आत्मा को ज्योत में लाते हैं। फिर मृत व्यक्ति की आत्मा को ज्योति के रूप में एक मटकी में रखकर ले जाया जाता है।

मान्यता है कि इस प्रक्रिया के दौरान पुजारी या मृतक के परिजन में उस व्यक्ति की आत्मा प्रवेश कर “गाता” या “सिरा” का स्थान बताती है, जहां उसकी मूर्ति स्थापित की जानी चाहिए। फिर, आत्मा द्वारा बताए गए स्थान पर मृतक की मूर्ति गढ़वाई जाती है, और उसकी पूजा की जाती है। यहां की सामाजिक मान्यता के अनुसार, इस अनुष्ठान के तहत “गातला” या “सिरा” लगाने के बाद ही परिवार में शुभ कार्य संपन्न होते हैं; अन्यथा, परिवार में गृह क्लेश बने रहने की संभावना रहती है।

Unique Tradition के पीछे के धार्मिक विश्वास:

इस परंपरा के पीछे धार्मिक विश्वास जुड़े हुए हैं। गांवों में प्रचलित मान्यता है कि जो लोग अस्पताल में या दुर्घटना में मृत्यु को प्राप्त होते हैं, उनकी आत्मा अचानक निकलने के कारण भटकने लगती है। उन्हें सही दिशा में जाने के लिए एक मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए इस परंपरा को निभाना आवश्यक माना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि आत्मा को शांति देने से उसकी नाराजगी कम हो जाती है और वह परिवारजनों को कष्ट नहीं देती। यदि इस अनुष्ठान को न किया जाए तो आत्मा घर के सदस्यों को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रभावित कर सकती है। लोग मानते हैं कि इस परंपरा के निभाने से आत्मा को संतोष और संतुष्टि प्राप्त होती है, जिससे वह परलोक गमन करती है।

नीमच और आसपास के क्षेत्रों में यह परंपरा इतनी गहराई से जुड़ी हुई है कि लोगों को इस परंपरा के महत्व में पूर्ण विश्वास है। वहां के लोग इसे जीवन का एक आवश्यक हिस्सा मानते हैं और नई पीढ़ी को भी इस परंपरा से जोड़े रखने का प्रयास करते हैं। कई परिवार इस परंपरा को अपनाकर आत्माओं की शांति का मार्गदर्शन करते हैं। समाज का एक बड़ा हिस्सा मानता है कि यह परंपरा उनके पूर्वजों द्वारा सिखाई गई है और इसे निभाने में उनकी श्रद्धा व विश्वास का अंश होता है।