Hanuman Jayanti 2025: हनुमान जयंती का पर्व भारतवर्ष में श्रद्धा, भक्ति और आस्था के साथ मनाया जाता है। यह दिन पवनपुत्र हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देशभर में मंदिरों में भजन-कीर्तन, हनुमान चालीसा पाठ और सुंदरकांड पाठ जैसे आयोजन होते हैं।
हनुमान जी को बल, बुद्धि, विद्या और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। वे रामभक्त, अष्टसिद्धि और नव निधियों के दाता हैं। उन्हें संकटमोचन, मारुति नंदन, केशरीनंदन, बजरंगबली आदि कई नामों से जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है? वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, हनुमान जन्मोत्सव वर्ष में दो बार मनाई जाती है।
एक हनुमान जन्मोत्सव कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। वहीं दूसरी बार चैत्र महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जिसे हनुमान जयंती कहते हैं। हनुमान जयंती सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक ऊर्जा का उत्सव है। चैत्र पूर्णिमा हो या कार्तिक चतुर्दशी – जब भी श्रद्धा से हनुमान जी का स्मरण किया जाए, भक्त का कल्याण निश्चित है।
इस साल चैत्र महीने में हनुमान जयंती 12 अप्रैल को मनाई जाएगी। हनुमान जयंती दो बार मनाने के पीछे कारण बताए गए हैं। जानते हैं हनुमान जन्मोत्सव वर्ष में दो बार क्यों मनाया जाता है।
क्यों मनाई जाती है दो बार Hanuman Jayanti:
हनुमान जयंती साल में दो बार मनाने के पीछे दो अलग-अलग मान्यताएं हैं| उत्तर भारत में विशेषकर चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म दिवस(Hanuman Jayanti 2025) माना जाता है। बजरंग बलि का जन्मोत्सव चैत्र माह की पूर्णिमा के साथ-साथ कार्तिक महीने की पूर्णिमा को भी मनाया जाता है|
दक्षिण भारत में विशेषकर मार्गशीर्ष मास (दिसंबर) या कार्तिक मास (नवंबर) की चतुर्दशी तिथि को हनुमान जी की जयंती मनाई जाती है। दरअसल, हनुमान जी की एक जयंती उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है और दूसरी जयंती को हनुमान विजय उत्सव या अंजनेय जन्मोत्सव भी कहा जाता है।
हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ:
हनुमान जी को पवनपुत्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका जन्म पवन देव के वरदान से हुआ था। हनुमान जी की माता अंजना, जो अप्सरा थीं और शापित होकर वानरी बन गई थीं, उन्होंने शिवभक्ति के प्रभाव से एक पुत्र की प्राप्ति की कामना की थी।
एक दिन जब अंजना देवी तपस्या में लीन थीं, उसी समय पवन देव ने शिवजी के आशीर्वाद स्वरूप दिव्य शक्ति को उनके गर्भ में स्थापित किया। इसी से हनुमान जी का जन्म हुआ, जिनमें शिवजी का अंश भी माना जाता है।
फिर से ऐसे मिला था हनुमानजी को नया जीवन:
पौराणिक कथाओं के अनुसार जन्म से ही हनुमान जी के पास अद्भुत शक्तियां थी | एक बार भूख लगने पर उन्होंने सूर्य को फल समझा और उसको खाने की कोशिश की,जिसे रोकने के लिए देवराज इंद्र ने उन पर प्रहार किया और हनुमना जी घोर मूर्छा में चले गए | अपने पुत्र को इस अवस्था में देखकर पवनदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने वायु का प्रवाह रोक दिया | इस वजह से पूरे ब्रह्मांड पर संकट के बादल मंडराने लगे |
सभी देवी देवताओं की प्राथना के बाद ब्रह्मा जी ने पवन पुत्र को जीवनदान दिया | चूंकि चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी को दूसरा जीवन मिला था इसलिए इस तिथि पर भी हनुमान जयंती मनाई जाती है| वहीं, पौराणिक कहानियों के अनुसार माता सीता और श्रीराम ने हनुमानजी को चिंरजीवी होने का वरदान दिया था, इसलिए हनुमान जयंती कार्तिक माह में भी मनाई जाती हैं।
Hanuman Jayanti पर क्या करें:
हनुमान जयंती(Hanuman Jayanti 2025) पर भक्त विशेष पूजा विधि से हनुमान जी को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं | प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर या मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप जलाएं। सिंदूर, चमेली का तेल, गुड़-चना, लाल फूल आदि चढ़ाएं। हनुमान चालीसा, संकट मोचन स्तोत्र, सुंदरकांड का पाठ करें। प्रसाद बांटें और आरती करें।
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