GBS: हाल ही में महाराष्ट्र में एक रहस्यमयी और गंभीर बीमारी ‘गुइलेन-बैरे सिंड्रोम’ (Guillain-Barré Syndrome – GBS) के मामले सामने आ रहे हैं। यह एक दुर्लभ लेकिन खतरनाक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है| यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती है और सीधा दिमाग व नर्वस सिस्टम पर असर डालती है।
यदि किसी को कमजोरी, सुन्नपन या चलने-फिरने में कठिनाई महसूस हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। संक्रमण से बचाव और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण, कारण, प्रभाव और इससे बचने के उपाय।
क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS):
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिजीज है| इसमें अपना इम्यून सिस्टम ही नसों की प्रोटेक्शन लेयर पर अटैक करने लगता है। यानि जो इम्यून सिस्टम हमें रोगों और बीमारियों से बचाने का काम करता है वही हमारी माइलिंग शीट पर हमला कर देता है।
यह समस्या शरीर के परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System) को प्रभावित करती है| जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नपन और यहां तक कि लकवा (Paralysis) भी हो सकता है। GBS एक दुर्लभ बीमारी है, लेकिन यह किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। आमतौर पर, यह बीमारी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद विकसित होती है।
प्रमुख लक्षण:
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम धीरे-धीरे विकसित होता है और इसके शुरुआती लक्षण हल्के हो सकते हैं| समय के साथ यह गंभीर रूप ले सकता है। यह पैरों से शुरू होकर शरीर के ऊपरी हिस्से में फैल सकती है। सबसे पहले पैरों में वीकनेस शुरू होती है। साथ ही खासतौर पर हाथ-पैरों में झनझनाहट और सुन्नपन महसूस होने लगता है।
इस बीमारी में शरीर पर नियंत्रण कम होने लगता है जिससे हाथ और पैरों की पकड़ कमजोर होने लगती है| चलने-फिरने में दिक्कत होती है और मरीज को संतुलन बनाने में परेशानी होती है। प्रभावित व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है | गंभीर मामलों में,मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है। कुछ मामलों में, GBS हृदय गति और ब्लड प्रेशर को भी प्रभावित कर सकता है।
कैसे फैलती है यह बीमारी:
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम कोई संक्रामक बीमारी नहीं है, यानी यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे नहीं फैलती। हालांकि, यह आमतौर पर किसी बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण, जैसे कि फ़ूड पॉइजनिंग, फ्लू, डेंगू, या कोविड-19 के बाद उत्पन्न हो सकती है। GBS को ट्रिगर करने वाले कुछ संभावित कारणों में वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण प्रमुख हैं।
खासकर कैंपिलोबैक्टर जेजुनी (Campylobacter jejuni) बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण GBS का सबसे आम कारण है। इसके अलावा, फ्लू या डेंगू जैसे वायरल संक्रमण भी इस बीमारी को ट्रिगर कर सकते हैं। कुछ दुर्लभ मामलों में, किसी सर्जरी के बाद या कुछ खास वैक्सीनेशन के बाद भी यह समस्या देखी गई है।
निदान कैसे किया जाता है:
यदि किसी व्यक्ति में ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई देते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम की पुष्टि के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जा सकते हैं:
नर्व कंडक्शन स्टडी (Nerve Conduction Study): यह परीक्षण नसों की सक्रियता को जांचने के लिए किया जाता है।
स्पाइनल टैप (Lumbar Puncture): इसमें स्पाइनल फ्लूइड की जांच की जाती है| जिससे संक्रमण और अन्य न्यूरोलॉजिकल स्थितियों का पता लगाया जा सकता है।
MRI या CT स्कैन: इससे नसों और मस्तिष्क की स्थिति का पता लगाया जाता है।
बचाव के उपाय:
हालाँकि यह बीमारी संक्रमण के बाद विकसित हो सकती है, इसलिए इससे बचने के लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं| संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता बनाए रखें और हाथ धोने की आदत डालें। डेंगू, फ्लू और अन्य वायरल संक्रमण से बचने के लिए सतर्क रहें। साथ ही संतुलित आहार लें जो शरीर की इम्यूनिटी मजबूत बनाने में सहायक हो।
अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए इसके लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और व्यायाम करें| किसी संभावित लक्षणों को नजरअंदाज न करें | यानि यदि शरीर में कमजोरी, सुन्नपन या झनझनाहट महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। इस लेख में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले किसी भी चिकित्सा निर्णय में सावधानी बरतें। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या स्थिति के लिए, कृपया अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इस लेख के आधार पर उत्पन्न हो सकने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए viralnewsvibes.com जिम्मेदार नहीं है।